Breaking News : चंद्रयान-३ को लेके विदेशी मीडिया में भी भारत की इस महान उपलब्धि की चर्चा हो रही है!
Video Source: Aaj Tak
मीडिया के अनुसार, भारत के चंद्रयान-3 मिशन की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग को लेकर दुनियाभर में तारीफ हो रही है। अमेरिका के प्रतिष्ठित समाचार पत्र वॉशिंगटन पोस्ट में डेविड वॉन रियली ने इस मिशन को न केवल तकनीकी उपलब्धि, बल्कि भू-राजनीतिक शक्ति संतुलन के रूप में भी देखा है।
लैंडिंग के अंतिम क्षणों में दिखी भारतीय तकनीक की पराकाष्ठा
डेविड वॉन रियली लिखते हैं कि लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर उतरते समय 3,730 मील/घंटा की रफ्तार से अपनी गति को लगभग शून्य पर ला दिया।
उसने हॉरिजॉन्टल से वर्टिकल पोजीशन में खुद को एडजस्ट किया — यह एक बेहद जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया थी।
“इस समय लैंडर को न बहुत ज़ोर से धक्का देना था और न ही बहुत धीरे। ज़रा सी चूक होती तो या तो लैंडर लड़खड़ा जाता या गलत जगह उतरता।”
भारत की सफलता बनाम रूस की असफलता
लेख में चंद्रयान-3 की सफलता की तुलना रूस के लूना-25 मिशन की विफलता से की गई है। लेखक ने तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा:
“लूना-25 चांद की सतह की ओर ऐसे बढ़ा जैसे ताबूत की आखिरी कील की ओर हथौड़ा बढ़ रहा हो।”
यह वाक्य स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत अब उन देशों की कतार में खड़ा हो गया है, जो अंतरिक्ष विज्ञान में अगुवाई कर रहे हैं, वहीं रूस का प्रभुत्व धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है।
भारत बना वैश्विक शक्ति का प्रतीक
लेख में कहा गया है कि चंद्रयान-3 की यह सफलता भारत को विश्व मंच पर एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित करती है।
“भारत की यह कामयाबी अब केवल वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक और राष्ट्रीय गौरव का विषय भी बन गई है।”
लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2024 में भारत में होने वाले आम चुनावों के मद्देनज़र यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को और बल देती है।
स्पेस से ज्यादा, यह है भारत की नई पहचान
विदेशी मीडिया इस मिशन को भारत के लिए ‘स्पेस मिशन’ से कहीं अधिक मानता है। यह भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता, वैज्ञानिक समर्पण, और विश्व नेतृत्व के प्रति उसकी आकांक्षा का प्रतीक है।
