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रेड कार्पेट पर सिक्योरिटी कमांडो को एंट्री नहीं मिली, चीनी राष्ट्रपति पीछे मुड़कर देखते रह गए!

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Breaking News : रेड कार्पेट पर अकेले पड़े चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग पलट-पलटकर स्टाफ को खोजते दिखे!

Video Source: Republic Bharat

मीडिया के अनुसार, 15वीं ब्रिक्स समिट का आयोजन दक्षिण अफ्रीका के सैंड्टन कन्वेंशन सेंटर, जोहान्सबर्ग में हुआ, लेकिन समिट की राजनीतिक चर्चाओं से इतर दो दृश्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं।
पहला दृश्य भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा है और दूसरा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक असहज स्थिति से।


तिरंगे के लिए पीएम मोदी का आदर भाव बना चर्चा का केंद्र

ग्रुप फोटो सेशन के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच पर पहुंचे तो उनकी नज़र ज़मीन पर पड़े भारतीय तिरंगे पर पड़ी।
उन्होंने बिना देर किए झुकर राष्ट्रीय ध्वज को उठाया और पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ उसे अपनी जैकेट की जेब में सलीके से रख लिया।

PM मोदी का ये भाव राष्ट्रीय प्रतीक के प्रति सम्मान का प्रतीक माना गया और यह वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

वहीं साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने भी अपना राष्ट्रीय ध्वज उठाया, लेकिन उसे स्टाफ को सौंप दिया।
उस स्टाफ मेंबर ने PM मोदी से तिरंगा देने की विनती की, लेकिन मोदी ने नम्रता से इनकार करते हुए उसे अपनी जेब में ही रखा।

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जिनपिंग के पीछे बंद हो गया दरवाज़ा, अकेले पड़ गए चीनी राष्ट्रपति

ब्रिक्स समिट में एक और नज़ारा कैमरे में कैद हुआ जो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से जुड़ा था।
इनॉगरल सेशन में जब वो पहुंच रहे थे, तभी साउथ अफ्रीकी प्रोटोकॉल स्टाफ ने उनके साथ मौजूद चीनी अफसरों को रोक दिया और गेट बंद कर दिया।

अब स्थिति कुछ ऐसी हो गई कि जिनपिंग आगे और उनका स्टाफ पीछे बंद दरवाज़े के उस पार!
जिनपिंग ने कई बार पलटकर अपने अधिकारियों को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन कोई नज़र नहीं आया।
यह पूरी घटना भी वीडियो में रिकॉर्ड हो गई और सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गई।

विश्लेषकों के मुताबिक यह चीन की कूटनीतिक छवि के लिए असहज पल था, जबकि भारत का सम्मानजनक क्षण मीडिया की सुर्खियों में छा गया।


ब्रिक्स समिट: कूटनीति के मंच पर राष्ट्रध्वज और गरिमा की अनकही कहानियां

15वीं ब्रिक्स समिट में जहां रूस, ब्राजील, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका के नेता भविष्य की आर्थिक साझेदारी और वैश्विक दक्षिण के सशक्तिकरण पर चर्चा कर रहे थे,
वहीं पीएम मोदी का यह छोटा लेकिन भावनात्मक कदम और जिनपिंग की असहजता दोनों ने दुनिया को कूटनीति के मानव पहलू की एक झलक दी।