Breaking News : दुनिया में भारत एक मात्रा ऐसा देश है जिसने अपने लोगो को निकलने के लिए ऑपरेशन गंगा शुरू किया है!
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मीडिया के अनुसार, यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को निकालने को लेकर अमेरिका ने एक बड़ी चुनौती का सामना किया है। अमेरिकी अधिकारियों ने माना है कि वे उन नागरिकों को बाहर निकालने में असमर्थ हैं जो यूक्रेन की सीमा पर पड़ोसी देशों के माध्यम से निकासी के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। अमेरिका ने अपने इस दावे का समर्थन चीनी मीडिया की खबरों और दोनों देशों के आधिकारिक बयानों के हवाले से किया है।
भारत का सक्रिय और प्रभावी अभियान
वहीं, भारत सरकार ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की मदद के लिए जारी ‘ऑपरेशन गंगा’ अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक व्यापक और संगठित है। भारत का कहना है कि उनका अभियान युद्ध स्तर पर सक्रिय है और भारतीय दूतावास पूरी तरह से काम कर रहा है। इसके अलावा, भारत ने यूक्रेन के आसपास के पड़ोसी देशों के लिए लगातार उड़ानें जारी रखी हैं ताकि फंसे हुए नागरिकों को सुरक्षित निकाला जा सके।
चीन की निकासी योजनाओं में ठहराव
सूत्रों के अनुसार, चीन ने अपनी निकासी योजनाओं को फिलहाल स्थगित कर दिया है। चीन ने न तो कोई ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है और न ही कोई विशेष सहायता तंत्र तैयार किया है। वहीं, रिपोर्ट्स में यह भी उल्लेख है कि यूक्रेन में चीनी नागरिकों पर हमले की खबरें सामने आई हैं, जबकि भारतीय झंडे वाली बसों को सुरक्षित मार्ग दिया जा रहा है।
ब्रिटेन और जर्मनी की निष्क्रियता
सरकारी सूत्रों ने बताया कि ब्रिटेन ने साफ कर दिया है कि वह यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों की मदद सीमित ही कर पाएगा। ब्रिटिश दूतावास ने कीव से अपना स्थानांतरित कर लिया है, जबकि भारतीय दूतावास वहां अब भी काम कर रहा है। ब्रिटेन ने अपने नागरिकों को केवल यूक्रेनी अधिकारियों की सलाह का पालन करने को कहा है। इसी तरह जर्मन दूतावास भी कीव से हट चुका है और जर्मनी ने कहा है कि वे निकासी अभियान शुरू करने की स्थिति में नहीं हैं।
‘ऑपरेशन गंगा’: भारत का युद्धस्तर का प्रयास
भारत ने अपने नागरिकों के लिए सम्पूर्ण सहायता व्यवस्था की है, जिसमें संपर्क नंबर, एडवाइजरी, और आपातकालीन मदद शामिल है। ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत भारतीय नागरिकों की निकासी निरंतर जारी है, जो भारत के विदेश मंत्रालय और दूतावास के समन्वय से युद्ध स्तर पर संचालित हो रहा है। यह पहल अन्य देशों के मुकाबले कहीं अधिक संगठित और व्यापक है।