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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत और रूस की दोस्ती ऐतिहासिक है।

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Breaking News : विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले रूस के साथ भारत के संबंध स्थिर हैं!

Video Source: TIMES NOW Navbharat

जयशंकर का बयान: “रूस के साथ संबंध शानदार नहीं, लेकिन स्थिर हैं”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एक अहम वैश्विक मंच — हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक — में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारत और रूस के रिश्ते “शानदार नहीं, लेकिन बेहद स्थिर” हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण रूस और पश्चिमी देशों के संबंधों में भारी खटास आ चुकी है।

जयशंकर का यह बयान वैश्विक कूटनीतिक समीकरणों के बीच भारत की रणनीतिक संतुलन नीति को दर्शाता है, जहां भारत रूस और पश्चिम — दोनों से संपर्क बनाए रखते हुए अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर रहा है।


रूस का रणनीतिक बदलाव: एशिया की ओर झुकाव

विदेश मंत्री ने अपनी टिप्पणी में भविष्यवाणी की कि आने वाले समय में रूस का ध्यान अब एशिया पर अधिक केंद्रित होगा। उन्होंने कहा:

“रूस जानबूझकर गैर-पश्चिमी दुनिया, खासकर एशिया पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा। यूरोप और अमेरिका से दूरी बनाकर रूस अब एशिया की ओर रुख कर रहा है।”

यह रुख केवल भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। जयशंकर के अनुसार, आज एशिया सबसे अधिक आर्थिक रूप से सक्रिय क्षेत्र बन चुका है, और यह स्वाभाविक है कि रूस जैसे संसाधन-संपन्न देश इस क्षेत्र में अपनी भूमिका को और मजबूत करना चाहेंगे।

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70 वर्षों की स्थिरता: भारत-रूस संबंधों की विशिष्टता

जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि जबकि विश्व में पिछले सात दशकों में अधिकतर अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अस्थिरता आई है, भारत और रूस के बीच यह संबंध अपेक्षाकृत स्थिर और मजबूत बने रहे हैं। उन्होंने कहा:

“हर प्रमुख वैश्विक संबंध में भारी अस्थिरता देखने को मिली है, लेकिन भारत-रूस के रिश्ते लंबे समय से स्थिर हैं, चाहे वैश्विक हालात कैसे भी रहे हों।”

यह टिप्पणी भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी की गहराई को दर्शाती है, जो केवल रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सामरिक संतुलन, वैश्विक नीति निर्धारण और बहुपक्षीय सहयोग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


यूक्रेन युद्ध और रूस का पुनर्निर्माण

रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में जयशंकर का विश्लेषण महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि रूस के पश्चिमी देशों से संबंध लगभग टूट चुके हैं, और इसके परिणामस्वरूप रूस अब खुद का नया वैश्विक दृष्टिकोण बना रहा है।

“यूक्रेन युद्ध के चलते रूस का पुनर्निर्माण हो रहा है, और यह एक नई वैश्विक भूमिका की तलाश में है।”

यह संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में रूस एक नई विदेश नीति को अपनाएगा, जहां वह स्वयं को एशिया और वैश्विक दक्षिण के साथ और अधिक गहराई से जोड़ने का प्रयास करेगा।


भारत-अमेरिका संबंध: समान दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत

बातचीत के दौरान जब भारत-अमेरिका संबंधों की बात उठी, तो एस. जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि दोनों देशों के पास साथ काम करने की मजबूत वजहें हैं। उन्होंने दोहराया कि आज की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत और अमेरिका को आपसी सहयोग को और गहराना होगा।


रूस और एशिया: भविष्य की साझेदारी?

जयशंकर के विचार यह संकेत देते हैं कि आने वाले वर्षों में रूस की प्राथमिकताएं बदल सकती हैं, और भारत जैसे राष्ट्र इस बदलाव में एक प्राकृतिक और रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर सकते हैं। भारत की ऊर्जा ज़रूरतें, रक्षा सहयोग और भू-राजनीतिक स्थान इसे रूस के लिए एक आदर्श साझेदार बनाते हैं।


मुख्य बिंदु (Highlights):

  • जयशंकर ने कहा: रूस के साथ संबंध शानदार नहीं, लेकिन स्थिर हैं

  • रूस अब एशिया पर केंद्रित होगा, यूरोप-अमेरिका से दूरी बनाएगा

  • भारत-रूस संबंध पिछले 70 वर्षों से अपेक्षाकृत स्थिर

  • रूस-यूक्रेन युद्ध ने रूस को एक नया वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने पर मजबूर किया

  • भारत-अमेरिका के बीच सहयोग के लिए “शक्तिशाली कारण” मौजूद हैं