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भारत का ‘बाहुबली विक्रांत’ ‘कांपा’ चीन-पाकिस्तान!

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Breaking News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने INS विक्रांत के रूप में भारत को समंदर का नया सूरमा दिया!

Video Source: Aaj Tak

मीडिया के अनुसार, भारत ने आज नौसेना की ताकत में एक ऐतिहासिक इज़ाफा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत का जलावतरण किया। यह सिर्फ एक युद्धपोत नहीं, बल्कि भारत के समुद्री वर्चस्व का प्रतीक है, जो देश को अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूके और चीन जैसी समुद्री महाशक्तियों की कतार में खड़ा करता है।


???? INS विक्रांत: समुद्र का तैरता शहर

  • लंबाई: 262 मीटर

  • चौड़ाई: 62 मीटर

  • गति: 28 समुद्री मील

  • दूरी क्षमता: 7,500 समुद्री मील

  • लागत: ₹20,000 करोड़

  • विमान क्षमता: 30 लड़ाकू विमान व हेलिकॉप्टर

  • क्रू मेंबर्स: 1700+ (महिला अधिकारियों के लिए अलग केबिन)

इस पोत को “तैरता शहर” कहना गलत नहीं होगा। आधुनिक हथियारों, रडार सिस्टम, और अत्याधुनिक नेविगेशन टेक्नोलॉजी से लैस INS विक्रांत, दुश्मनों की हर हरकत पर नज़र रख सकता है – वो भी करीब 1500 मील के दायरे में।

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1971 की वीरता का नया अवतार

इस पोत का नाम 1971 की जंग के हीरो ‘INS विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है, जिसने पाकिस्तानी नौसेना को करारी शिकस्त दी थी। अब का विक्रांत और भी ताकतवर है – पूरी तरह भारतीय तकनीक से निर्मित, यह आत्मनिर्भर भारत की असली झलक पेश करता है।


चीन और पाकिस्तान को कड़ा संदेश

जब दो साल पहले राफेल भारत की धरती पर उतरा था, तो पाकिस्तान हड़बड़ाकर चीन से फाइटर जेट मांगने लगा था। अब INS विक्रांत की तैनाती से हिंद महासागर में चीन की ‘दादागीरी’ को सीधी चुनौती मिल रही है।
विशेषज्ञों की मानें तो हिंद महासागर पर नियंत्रण रखना 21वीं सदी के भू-राजनीतिक खेल में निर्णायक साबित होगा – और विक्रांत, भारत को यह बढ़त दिला सकता है।


वैश्विक रणनीति में भारत की बढ़ती भूमिका

एक समय था जब भारत नौसेना के लिए अन्य देशों पर निर्भर था, आज वही भारत उच्च तकनीक वाले विमानवाहक पोत का निर्माण स्वयं कर रहा है। यह केवल सैन्य ताकत नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजिकल और औद्योगिक आत्मनिर्भरता का भी प्रमाण है।


INS विक्रांत भारत के लिए सिर्फ एक युद्धपोत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव, तकनीकी उपलब्धि और रणनीतिक मजबूती का प्रतीक है। इसकी तैनाती न केवल पड़ोसी देशों को चेतावनी है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत होती उपस्थिति की गूंज भी है।