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आखिर क्यों? जया बच्चन इस बात से बहुत नाराज थीं कि बॉलीवुड में ड्रग्स का मुद्दा उठाया जा रहा है!

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Breaking News : देश की आम जनता ने जया बच्चन और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के कुछ नायक नायिकाओं के खिलाफ विद्रोह कर दिया है!

Video Source: Zee News

???? जब संसद में बॉलीवुड की खामोशी टूटी, और जनता की आवाज़ तेज़ हो गई!

बॉलीवुड, जिसे एक समय लोग अपने सपनों की नगरी मानते थे, आज खुद सवालों के घेरे में है। बीते दिनों रवि किशन और कंगना रनौत जैसे सितारों ने जब फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स, पक्षपात और पाखंड पर खुलकर बोलना शुरू किया, तब जया बच्चन का संसद में दिया गया बयान —
“कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं,”
न केवल वायरल हो गया बल्कि एक राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गया।

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???? क्यों जया बच्चन का बयान बन गया बवाल का कारण?

जया बच्चन ने लोकसभा में अपने भाषण में बिना किसी का नाम लिए उन कलाकारों पर तंज कसा जो इंडस्ट्री में रहकर, उसी के खिलाफ बोल रहे हैं। उनका इशारा साफ तौर पर कंगना और रवि किशन की ओर था।

लेकिन यह बयान लोगों को बेहद अक्खड़ और संवेदनहीन लगा, खासकर तब जब देश के लाखों लोग सुशांत सिंह राजपूत की दुखद मौत के बाद फिल्म इंडस्ट्री के रवैये से पहले ही नाराज थे।


???? जनता का गुस्सा क्यों फूटा?

  • आम जनता को लगा कि जया बच्चन जैसे दिग्गज कलाकार, बॉलीवुड की सच्चाइयों पर बात करने की जगह उसे बचाने में लगे हैं।

  • सोशल मीडिया पर ट्रेंड चल पड़ा — #BoycottBollywood, #JusticeForSSR और #ThaliMeChed

  • जो सितारे पहले भगवान की तरह पूजे जाते थे, अब आलोचना और ट्रोलिंग का शिकार हो रहे हैं।


???? क्या है “थाली” वाली सोच का असली मतलब?

जया बच्चन की “थाली में छेद” वाली सोच को लोगों ने उसी बॉलीवुड के अंदरूनी घेरे (Nepotism) से जोड़कर देखा, जिसने एक ‘आउटसाइडर’ सुशांत को निगल लिया।
यही वह सोच है जिसमें कुछ खास परिवार और गुट खुद को फिल्म इंडस्ट्री का मालिक समझते हैं और बाहरी प्रतिभाओं के लिए दरवाज़े बंद रखते हैं।


???? शिवसेना और ‘सामना’ का समर्थन

जहाँ जनता ने जया बच्चन को ट्रोल किया, वहीं शिवसेना उनके समर्थन में आ गई। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में जया बच्चन की बेबाकी और साहस की तारीफ की गई।
संपादकीय में लिखा गया कि “जब फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम किया जा रहा है, जया बच्चन जैसे नेता खड़े होकर उसकी गरिमा बचा रहे हैं।”
यह समर्थन कहीं न कहीं बॉलीवुड और राजनीति के पुराने रिश्तों की भी झलक दिखाता है।


???? क्या बॉलीवुड सिर्फ कुछ परिवारों की जागीर है?

  • यही सवाल आज देश का युवा पूछ रहा है।

  • क्या प्रतिभा से ज्यादा ज़रूरी है जुड़ाव और खानदानी नाम?

  • क्या आलोचना करने वाला हर कलाकार “गद्दार” है?

इस पूरी बहस ने न सिर्फ बॉलीवुड की परतें खोलीं, बल्कि लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और फिल्मी राजनीति को भी नए सिरे से समझने का अवसर दिया।