Breaking News: 23 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा, तुर्की को मिला सीधा संदेश!
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मीडिया के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीते 23 वर्षों में यह पहली साइप्रस यात्रा रही, लेकिन इस यात्रा ने न सिर्फ राजनयिक समीकरण बदले, बल्कि तुर्की और पाकिस्तान को एक स्पष्ट और कड़ा संदेश भी दे दिया।
सूत्रों के अनुसार, हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान को तुर्की से सैन्य समर्थन मिला था। ऐसे समय में पीएम मोदी का तुर्की-विरोधी रुख वाले देश साइप्रस की यात्रा करना, भारत की रणनीतिक नीति का हिस्सा माना जा रहा है।
साइप्रस में भव्य स्वागत, राष्ट्रपति खुद पहुंचे एयरपोर्ट
साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने सभी प्रोटोकॉल तोड़ते हुए, खुद एयरपोर्ट पर पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। यह केवल एक औपचारिक स्वागत नहीं था, बल्कि भारत-साइप्रस रिश्तों की नई ऊंचाई का संकेत था।
PM मोदी को मिला साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान साइप्रस के सबसे बड़े नागरिक सम्मानों में से एक है। सम्मान स्वीकार करते हुए पीएम मोदी ने साइप्रस को “यूरोप का प्रवेश द्वार और भारत का भरोसेमंद साझेदार” बताया।
तुर्की-पाक गठजोड़ पर भारत का करारा जवाब
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ऑपरेशन सिंदूर में तुर्की ने पाकिस्तान को हथियार और तकनीकी सहायता दी थी।
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इसी पृष्ठभूमि में पीएम मोदी की यह यात्रा तुर्की को राजनयिक स्तर पर आइसोलेट करने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
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ग्रीन लाइन, यानी UN-नियंत्रित इलाका, जहां तुर्की ने 1974 में कब्जा किया था — वहाँ PM मोदी की मौजूदगी और तस्वीरें भू-राजनीतिक संदेश की तरह देखी जा रही हैं।
तुर्की ने कई बार कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन किया है, अब भारत ने भी साइप्रस के विवादित क्षेत्र में जाकर अपनी मौजूदगी दर्ज कर दी।