Breaking News : बीजेपी संसदीय दल की बैठक में फिल्म ‘The Kashmir Files’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश तोड़ने वालो को लिया आड़े हाथो!
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मीडिया के अनुसार, हाल ही में हुई बीजेपी संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘The Kashmir Files’ जैसी फिल्मों की महत्ता पर जोर दिया। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसी फिल्में बनती रहनी चाहिए क्योंकि ये उन सच्चाइयों को उजागर करती हैं जिन्हें लंबे समय तक छुपाया जाता रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि जो लोग इन सच्चाइयों को दबाने की कोशिश करते थे, वे आज विरोध कर रहे हैं क्योंकि अब सत्य सामने आ चुका है। यह बयान राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कांग्रेस पर तंज: ‘कश्मीर फाइल्स’ और सच्चाई से इनकार
संसद के लोकसभा सत्र में जब जम्मू-कश्मीर के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट पर चर्चा हो रही थी, तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ‘कश्मीर फाइल्स’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह फिल्म कश्मीरी पंडितों के दर्दनाक पलायन की सच्चाई को दर्शाती है और हमें उस दौर की कड़वी सच्चाई को कभी भूलना नहीं चाहिए।
निर्मला सीतारमण ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी के उस रवैये पर कड़ी निंदा की, जिसने ट्विटर पर इस घटना को झूठा साबित करने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह दावा किया गया कि कश्मीरी पंडित अपनी मर्जी से और दिल्ली में फायदे के लिए वहां से चले गए।
कांग्रेस पर गंभीर आरोप: नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलीभगत
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि कश्मीरी पंडितों को जब सबसे ज्यादा संकट झेलना पड़ा, उस समय जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार थी, जिसमें कांग्रेस भी शामिल थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय के मुख्यमंत्री ने हिन्दू समुदाय को उनकी तकलीफों पर छोड़ दिया और खुद विदेश चले गए।
इसके अलावा, निर्मला सीतारमण ने एक और गंभीर बात भी कही कि वायु सेना के एक अधिकारी की हत्या के मामले में संलिप्त एक व्यक्ति की पूर्व प्रधानमंत्री से मुलाकात की तस्वीर भी सामने आई है, जो सवालों को और बढ़ाती है।
‘The Kashmir Files’ ने खोली सच्चाई की परतें
प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयानों से साफ होता है कि ‘The Kashmir Files’ जैसी फिल्में केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि इतिहास की उन अनदेखी घटनाओं को सामने लाने का जरिया हैं जो समय-समय पर सामाजिक जागरूकता को बढ़ाती हैं।
इस पूरे विवाद ने राजनीतिक दलों के बीच गहरी खाई और उनके असल चेहरे भी उजागर कर दिए हैं। कश्मीर के दर्द को समझने और उसे सही मायने में स्वीकारने की जरूरत अब पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।