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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े राजनयिक भगवान कृष्ण और हनुमान थे!

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Breaking News : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भगवान कृष्ण और हनुमान को बताया महानतम डिप्लोमेट!

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Video Source: TIMES NOW Navbharat

मीडिया के अनुसार, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कूटनीति को समझाने के लिए रामायण और महाभारत जैसे भारतीय महाकाव्यों को आधार बनाते हुए, भगवान कृष्ण और हनुमान को विश्व के सबसे महान कूटनीतिज्ञ बताया। यह विचार उन्होंने अपनी पुस्तक “The India Way: Strategies for an Uncertain World” के मराठी संस्करण ‘भारत मार्ग’ के विमोचन के अवसर पर पुणे में साझा किए।


‘द इंडिया वे’ की मराठी प्रस्तुति: भारत मार्ग

इस कार्यक्रम के माध्यम से विदेश मंत्री की चर्चित पुस्तक का मराठी अनुवाद “भारत मार्ग” जनता के सामने लाया गया। इस अवसर पर एस जयशंकर ने भारतीय कूटनीति की जड़ों को संस्कृति, धर्म और इतिहास से जोड़ते हुए एक नई व्याख्या दी।

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भगवान कृष्ण: रणनीतिक धैर्य और समय पर निर्णय का प्रतीक

विदेश मंत्री ने कहा कि भगवान कृष्ण कूटनीति और रणनीति के जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने महाभारत से शिशुपाल प्रसंग को उद्धृत करते हुए बताया:

श्रीकृष्ण ने वचन दिया था कि वह शिशुपाल की 100 गलतियों को क्षमा करेंगे, लेकिन 100वीं गलती पर उन्हें दंड देंगे।

एस जयशंकर ने इसे रणनीतिक धैर्य (Strategic Patience) का प्रतीक बताया—जहां एक नेता अपनी सीमाएं निर्धारित करता है और तब तक संयम रखता है जब तक वो पार न हो जाएं।


हनुमान जी: मिशन, इंटेलिजेंस और कूटनीति से परे एक प्रेरणा

उन्होंने आगे कहा कि:

हनुमान जी सिर्फ एक दूत नहीं थे, वे एक ‘Intelligence Operative’ थे। उन्होंने न केवल सीता माता तक पहुंच बनाई, बल्कि लंका में आग लगाकर शत्रु को संदेश भी दे दिया।

यह उदाहरण आज के समय में मिशन-ओरिएंटेड डिप्लोमेसी का सर्वोत्तम उदाहरण है।


भारत की कूटनीति में सांस्कृतिक बोध की भूमिका

एस जयशंकर का मानना है कि भारत की विदेश नीति को केवल भौगोलिक सीमाओं से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक बोध, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और सभ्यतागत मूल्यों से संचालित किया जाना चाहिए।

“हमारे ग्रंथ केवल धार्मिक आस्था के विषय नहीं हैं, वे आज की कूटनीति और रणनीति के लिए भी मार्गदर्शक हो सकते हैं।”


पुस्तक की विशेषता: आधुनिक विदेश नीति के साथ भारतीय दर्शन का मेल

The India Way’ एक ऐसी पुस्तक है जो:

  • वैश्विक अनिश्चितताओं में भारत की भूमिका को परिभाषित करती है,

  • पश्चिमी मॉडल से हटकर भारतीय रणनीतिक सोच को प्रस्तुत करती है,

  • और यह दिखाती है कि कैसे प्राचीन परंपराएं आज की जटिल वैश्विक राजनीति में मार्गदर्शक बन सकती हैं।


कूटनीति सिर्फ संवाद नहीं, दृष्टि भी है: एस जयशंकर

जयशंकर का स्पष्ट मानना है कि आज के अनिश्चित विश्व में कूटनीति सिर्फ बातचीत का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण, सांस्कृतिक समझ और रणनीतिक सोच का समन्वय है।