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विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान ने मचाया तहलका, सालों तक याद रखेगा अमेरिका!

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Breaking News : भारत ने अमेरिका के अहंकार को उसकी के देश में जा के पूरी तरह से नष्ट कर दिया!

Video Source: Zee News

मीडिया के अनुसार, भारत-अमेरिका के बीच हालिया 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को एक सशक्त संदेश दिया है। उन्होंने साफ किया कि भारत भी अमेरिका के वोट बैंक और लॉबी से जुड़ी राजनीति को समझता है और इसके प्रति अपनी प्रतिक्रिया देने का पूरा अधिकार रखता है।

इस बयान ने वैश्विक कूटनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां भारत ने स्पष्ट किया है कि वह न केवल अपनी विदेश नीति पर दृढ़ है, बल्कि अपने मानवाधिकारों के मुद्दों पर भी खुलकर अपनी बात रखेगा।

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लोगों को अपने विचार रखने का अधिकार है, पर हमें भी जवाब देने का हक है

एस जयशंकर ने कहा, “लोग हमारे बारे में अपनी राय बनाने का हक रखते हैं। लेकिन हमें भी उनके वोट बैंक और लॉबी के बारे में विचार करने का पूरा अधिकार है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत “मौन नहीं रहेगा” और अन्य देशों के मानवाधिकारों पर अपनी राय देने से पीछे नहीं हटेगा, खासकर जब बात हमारे देश के समुदाय से जुड़ी हो।

यह बात तब आई है जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत में मानवाधिकारों की कुछ चिंताजनक घटनाओं पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। जयशंकर ने इस पर जोर दिया कि भारत ने पहले भी इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से अपनी बात रखी है और भविष्य में भी करेगा।


2+2 बैठक में मानवाधिकार मुद्दा मुख्य विषय नहीं था, लेकिन भारत की आवाज़ बुलंद होगी

भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक में मानवाधिकारों पर विशेष चर्चा नहीं हुई, लेकिन जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि जब भी इस विषय पर चर्चा होगी, भारत अपनी आवाज़ को पूरी ताकत से उठाएगा। उन्होंने बताया कि “यह विषय पहले भी चर्चा में रहा है, जब विदेश मंत्री ब्लिंकन भारत आए थे।”

विदेश मंत्री ने आगे कहा, “हम केवल अपने देश के ही नहीं, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका समेत अन्य देशों के मानवाधिकारों पर भी अपनी राय रखते हैं। जब भी भारत के समुदाय से जुड़ा कोई मामला होता है, हम उसे गंभीरता से उठाते हैं।”


भारत की कूटनीति का नया आयाम: आत्मविश्वास और जवाबदेही

एस जयशंकर के इस बयान से यह साफ हो गया है कि भारत अब अपनी विदेश नीति और कूटनीति में अधिक आत्मविश्वास के साथ कदम बढ़ा रहा है। वह केवल सहयोगी देशों की बात नहीं सुन रहा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित कर रहा है।

यह संदेश खास तौर पर अमेरिका को भेजा गया है, जो अक्सर भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करता रहता है। जयशंकर ने यह साफ किया कि भारत की संप्रभुता और निर्णय लेने की स्वतंत्रता को कोई कमतर नहीं आंक सकता।


अमेरिका की चिंता पर भारत का जवाब: लोकतंत्र में संवाद जरूरी

जहां अमेरिका ने भारत में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन को लेकर चिंता जताई है, वहीं भारत का रुख स्पष्ट है कि लोकतंत्र में हर मुद्दे पर खुलकर संवाद होना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि भारत में भी कई मुद्दों पर बहस होती है, और यह लोकतंत्र की खूबसूरती है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपने नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और जरूरत पड़ने पर वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करेगा।


भारत की कूटनीति में नए स्वर

विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान से स्पष्ट हो गया है कि भारत अब पारंपरिक कूटनीति की बजाय अधिक सशक्त, आत्मनिर्भर और जवाबदेह कूटनीति अपनाने की ओर बढ़ रहा है। वह अपने हितों और विचारों की रक्षा के लिए किसी भी दबाव में नहीं आएगा।

यह नए दौर की कूटनीति भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत और प्रभावशाली खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगी, जो न केवल अपने लिए बल्कि विश्व के लिए भी संतुलित और न्यायसंगत निर्णय लेगा।