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सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान को दिखाई उसकी असली औक़ात!

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Breaking News : सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान की सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मिलने से किया इनकार!

Video Source: Zee News

सऊदी अरब ने पाकिस्तान को दिया कूटनीतिक झटका, बाजवा और ISI चीफ की मुलाकात से किया इनकार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान की सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और ISI के प्रमुख की सऊदी अरब यात्रा विवादास्पद रही। दोनों अधिकारी पाकिस्तान की तरफ से माफी मांगने के लिए सऊदी अरब गए थे, लेकिन वहां के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उनसे मिलने तक इनकार कर दिया। इस कदम को पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा कूटनीतिक अपमान माना जा रहा है।


पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों को सऊदी अरब ने ठुकराया

पाकिस्तानी अधिकारियों की कई बार विनती के बावजूद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उनसे मुलाकात नहीं की। परिणामस्वरूप, दोनों अधिकारी दो दिनों तक रियाद में रहने के बाद खाली हाथ वापस लौटने को मजबूर हुए। यह घटना पाकिस्तान-सऊदी अरब संबंधों में एक बड़े तनाव की ओर इशारा करती है।

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सऊदी अरब: इस्लामिक दुनिया में सबसे शक्तिशाली राष्ट्र

विश्व में 53 ऐसे इस्लामिक देश हैं जहां इस्लाम धर्म सबसे बड़ा है। इन देशों में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाने वाला देश सऊदी अरब है। इसका कारण तीन प्रमुख हैं: सऊदी अरब के पास दुनिया का 18 प्रतिशत तेल भंडार, आर्थिक मजबूती, और क्षेत्रीय नेतृत्व। अरब देशों में भी सऊदी अरब की स्थिति सर्वोपरि है।


कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब का पाकिस्तान को नसीहत

5 अगस्त को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक साल पूरे होने पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि Organisation of Islamic Cooperation (OIC) और खासकर सऊदी अरब पाकिस्तान का साथ नहीं दे रहे हैं। उन्होंने सऊदी अरब को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह पाकिस्तान की बात नहीं सुनता तो प्रधानमंत्री इमरान खान को बिना सऊदी अरब के ही कश्मीर मुद्दे पर आगे बढ़ना चाहिए।


पाकिस्तान के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक चुनौती

पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब का यह रवैया एक बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक चुनौती है। मक्का-मदीना के प्रति अपने धार्मिक जुड़ाव के बावजूद सऊदी अरब ने साफ कर दिया है कि वह पाकिस्तान के दुष्प्रचार और आतंकवाद के समर्थन में नहीं है। इस फैसले से पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि और क्षेत्रीय समर्थन पर असर पड़ेगा।