Breaking News : भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका और पाकिस्तान रिलेशन्स पर सवाल उठाए हैं।
Video Source: ANI News
मीडिया के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा F-16 फाइटर जेट्स के रखरखाव के लिए दिए गए पैकेज पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अमेरिका की सफाई को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “अगर आप कहते हैं कि ये कदम आतंकवाद से लड़ने के लिए है तो ऐसा कहकर किसी को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।”
जयशंकर का यह बयान न केवल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता दर्शाता है, बल्कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर भी सवाल खड़ा करता है।
????️ F-16 डील पर उठे सवाल: आतंकवाद के खिलाफ या किसी और मकसद से?
अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान को F-16 फ्लीट के रखरखाव के लिए स्पेयर पार्ट्स और तकनीकी सहायता प्रदान करने की घोषणा की थी। अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने सफाई दी थी कि यह मदद आतंकवाद से लड़ने के लिए है और यह अमेरिका की वैश्विक नीति का हिस्सा है।
जयशंकर का जवाब सीधा और स्पष्ट था:
“F-16 जैसे हमलावर विमान आतंकवाद से लड़ने के लिए नहीं, बल्कि सैन्य कार्रवाई के लिए होते हैं। हम जानते हैं कि ये विमान कहां तैनात किए जा सकते हैं और उनका इस्तेमाल किसके खिलाफ हो सकता है।”
अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों पर सवाल
जयशंकर ने अमेरिका को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा:
“अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों से न तो कभी पाकिस्तान को फायदा हुआ है और न ही अमेरिका को। अब समय आ गया है कि अमेरिका खुद सोचे कि उसे पाकिस्तान से क्या लाभ हो रहा है।”
यह बयान सीधे तौर पर अमेरिकी रणनीतिक नीति पर सवाल उठाता है और यह दर्शाता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को लेकर अब पहले से कहीं अधिक मुखर है।
भारत की चिंता क्यों जायज़ है?
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पाकिस्तान के पास पहले से ही कई दर्जन F-16 लड़ाकू विमान हैं।
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भारत के अनुसार, इन विमानों का उपयोग भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई या हवाई हमलों में हो सकता है, जैसा कि 2019 के बालाकोट हमले के बाद देखा गया था।
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ऐसे में इन विमानों के रखरखाव में सहायता सीधे तौर पर क्षेत्रीय असंतुलन पैदा कर सकती है।
एस. जयशंकर का यह बयान सिर्फ एक कूटनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति में आ रहे नए आत्मविश्वास और स्पष्टता का प्रतीक है। भारत अब यह स्पष्ट कर रहा है कि वह आतंकवाद के नाम पर सैन्य ताकत बढ़ाने वाले देशों को लेकर चुप नहीं बैठेगा, चाहे वह कोई भी वैश्विक शक्ति क्यों न हो।