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विदेश मंत्री एस. जयशंकर का अमेरिका पर करारा वार – रूस यात्रा के दौरान टैरिफ मुद्दे पर तीखे तेवर

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Breaking News: रूस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सुनाई खरी-खोटी!


Video Source: Aaj Tak

मीडिया के अनुसार, रूस यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी टैरिफ नीति पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत न तो रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और न ही एलएनजी का सबसे बड़ा आयातक। अमेरिकी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन और यूरोपीय संघ रूसी ऊर्जा संसाधनों के बड़े खरीदार हैं।

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अमेरिकी टैरिफ पर तीखी प्रतिक्रिया

विदेश मंत्री ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका ने 25% सेकेंडरी टैरिफ को लागू किया, तो भारत पर कुल टैरिफ 50% तक पहुंच जाएगा, जिससे व्यापार और निवेश पर गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका के दावे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।
जयशंकर ने कहा:

“हम वह देश नहीं हैं जिसने रूस के साथ व्यापार में सबसे बड़ा उछाल दिखाया। फिर भी अमेरिका हमें कटघरे में खड़ा करता है। हम तो खुद अमेरिका से तेल खरीदते हैं और इसकी मात्रा पिछले सालों में और बढ़ी है।”

भारत-रूस संबंधों पर भी दिया बयान

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ मुलाकात के बाद जयशंकर ने कहा कि यह मुलाकात सिर्फ राजनीतिक संबंधों तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसमें व्यापार, रक्षा, निवेश, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और लोगों से लोगों के संबंध जैसे अहम मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
उन्होंने कहा:

“भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी विशेष और मजबूत है। दोनों देश आने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों में भी जुटे हैं।”

रूसी विदेश मंत्रालय का बयान

रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक का मुख्य एजेंडा परिवहन, ऊर्जा, बैंकिंग, वित्तीय सहयोग, कृषि और विज्ञान-प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है। मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार और वैश्विक दबाव से मुक्त आर्थिक सहयोग पर भी चर्चा होगी।

क्यों अहम है यह बयान?

  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% सेकेंडरी टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 27 अगस्त से लागू होगा।

  • भारत पहले से ही 27% अमेरिकी टैरिफ झेल रहा है, और नया टैरिफ लागू होने पर यह बोझ 50% तक बढ़ जाएगा।

  • ऐसे में जयशंकर का बयान न केवल अमेरिका के खिलाफ भारत की कड़ी प्रतिक्रिया है, बल्कि रूस और भारत की रणनीतिक साझेदारी की मजबूती का भी संकेत देता है।