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क्या POK वापस लेने की तैयारी में है भारत!

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Breaking News : सवाल उठ रहा है कि क्या भारत PoK को वापस हासिल करने के लिए तैयारी कर रहा है!

Video Source: Aaj Tak

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी का ऐलान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सेना के उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में एक अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत पूरी तरह से PoK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) को वापस लेने के लिए तैयार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार के आदेश मिलने पर सेना तुरंत कार्रवाई करेगी। यह बयान भारत-पाकिस्तान के बीच इस विवादित मुद्दे पर फिर से बहस को जन्म दे रहा है, न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी।


PoK पर भारत के शीर्ष नेताओं के ठोस रुख

इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपने विचार स्पष्ट किए हैं।

  • 2016 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने PoK के तहत आने वाले गिलगिट-बाल्टिस्तान, बलूचिस्तान और PoK में हो रहे अत्याचारों का उल्लेख किया था।

  • गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के दौरान भी PoK को भारत का अभिन्न हिस्सा बताते हुए जोर दिया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को भी निशाना बनाया और कहा कि कांग्रेस का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था, जबकि PoK भारत की संप्रभुता का हिस्सा है।

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PoK को लेकर बढ़ती कूटनीतिक और सैन्य सक्रियता

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव लगातार बना हुआ है। PoK के मुद्दे पर यह स्पष्ट रुख न केवल सैन्य बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत की मजबूती को दर्शाता है। यह संकेत भी है कि भारत संघर्षरत क्षेत्र में अपनी संप्रभुता का पुनः दावा करने के लिए तैयार है।


वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का केंद्र बना PoK

भारत के इस रुख ने वैश्विक मंच पर भी PoK को लेकर बहस तेज कर दी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर अब इस क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता पर टिकी है। साथ ही, यह मुद्दा दक्षिण एशिया के सुरक्षा ताने-बाने में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।


PoK वापस लेने का भारत का दृढ़ संकल्प

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को लेकर भारत का संकल्प मजबूत होता जा रहा है। भारतीय सेना की पूरी तैयारी और सरकार के स्पष्ट राजनीतिक इरादे इस बात का संकेत हैं कि इस मुद्दे को अब और टाला नहीं जा सकता।

यह लड़ाई सिर्फ क्षेत्रीय सीमाओं की नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान और संप्रभुता की भी है। आने वाले समय में इस क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।