Breaking News : अमेरिकी टैरिफ पर भारत का सख्त रुख, जयशंकर बोले – भारत के फैसले राष्ट्रीय हितों से तय होंगे!
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मीडिया के अनुसार, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के बाद अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने साफ कहा –
“अगर आपको भारत से तेल या परिष्कृत उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो इसे मत खरीदिए। कोई भी आपको मजबूर नहीं करता।”
जयशंकर का यह बयान सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को निशाना बनाता है, जिन्होंने हाल ही में रूस से तेल आयात को लेकर भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया था।
ट्रंप की विदेश नीति पर सवाल
जयशंकर ने कहा कि ट्रंप का विदेश नीति चलाने का तरीका पूरी तरह अलग और असामान्य है।
उन्होंने टिप्पणी की –
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“अब तक ऐसा कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं रहा जिसने विदेश नीति को इस तरह सार्वजनिक मंच पर चलाया हो।”
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“ट्रंप का टैरिफ लगाने का तरीका अनोखा है। खासकर गैर-व्यापारिक मुद्दों पर भी टैरिफ लगाना चौंकाने वाला है।”
क्यों सिर्फ भारत पर टैरिफ?
विदेश मंत्री ने अमेरिका से सीधा सवाल किया कि –
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“चीन रूस से भारत से ज्यादा तेल खरीदता है, लेकिन उस पर टैरिफ क्यों नहीं?”
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“यूरोप LNG और अन्य उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक है, फिर वहां क्यों छूट दी गई?”
उन्होंने कहा कि यूरोप तो रूस के साथ भारत से कहीं ज्यादा कारोबार करता है।
“अगर रूस-यूरोप का व्यापार भारत-रूस व्यापार से बड़ा है, तो क्या यूरोप रूस के खजाने में पैसा नहीं डाल रहा?”
भारत की ऊर्जा नीति – सिर्फ राष्ट्रीय हितों पर आधारित
मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार ने भी अमेरिका के टैरिफ पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा –
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“अमेरिका का निर्णय अनुचित और अन्यायपूर्ण है।”
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“भारत की ऊर्जा नीति बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होगी।”
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“हम वहीँ से तेल खरीदेंगे जहाँ से हमें बेस्ट डील मिलेगी।”
राजदूत ने साफ कर दिया कि भारत का मकसद अपनी जनता के लिए सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा उपलब्ध कराना है, चाहे अमेरिका को यह रास आए या नहीं।
भारत का सीधा संदेश – “डील होगी तो रूस से भी खरीदेंगे”
जयशंकर ने दोहराया कि भारत किसी भी दबाव में आने वाला नहीं है। उन्होंने कहा –
“अगर अमेरिका को भारत का रूस से तेल खरीदना पसंद नहीं है तो ये उनकी समस्या है, भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर ही चलेगा।”
चीन पर भी दिया जवाब
कार्यक्रम में जब चीन से जुड़े सवाल पूछे गए तो जयशंकर ने कहा –
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“भारत-चीन और भारत-अमेरिका संबंध अलग-अलग परिस्थितियों और समय सीमाओं वाले हैं।”
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“इन दोनों को मिलाकर एकीकृत नीति बनाना गलत विश्लेषण होगा।”
उन्होंने बताया कि भारत-चीन से जुड़ी मौजूदा चुनौतियाँ अक्टूबर 2024 से पहले से ही बन रही थीं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार के बयानों ने साफ कर दिया है कि भारत अब किसी भी देश के दबाव में झुकने वाला नहीं है। अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ को लेकर भारत का रुख है –
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हम जहां से सस्ती और भरोसेमंद डील मिलेगी, वहीं से तेल खरीदेंगे।
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अगर किसी देश को पसंद नहीं, तो न खरीदे।
यह बयान भारत की स्वतंत्र विदेश नीति, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक मंच पर मजबूत रुख का प्रतीक माना जा रहा है।