Breaking News : एस जयशंकर ने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की तरफ से भारत में ‘विरासत टैक्स’ लगाए जाने की मांग वाले बयान पे लगायी क्लास!
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मीडिया के अनुसार, भारतीय राजनीति में उस समय अचानक उबाल आ गया जब इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने संपत्ति के बंटवारे और विरासत कर (Inheritance Tax) को लेकर एक बयान दिया। उन्होंने अमेरिका के टैक्स सिस्टम का हवाला देते हुए कहा कि भारत में भी इस प्रकार की प्रणाली होनी चाहिए, जिससे अमीर वर्ग की संपत्ति का हिस्सा समाज और सरकार को मिल सके।
क्या कहा सैम पित्रोदा ने?
सैम पित्रोदा ने कहा:
“अमेरिका में विरासत कर लगता है। अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और वह मर जाता है, तो वह केवल 45% अपने बच्चों को दे सकता है, जबकि 55% सरकार लेती है। ये नियम बहुत दिलचस्प है और यह कहता है कि आपने जीवन में संपत्ति बनाई, लेकिन अब जब आप जा रहे हैं, तो इसका एक बड़ा हिस्सा समाज को मिलना चाहिए।“
इस बयान को कई लोगों ने संपत्ति के राष्ट्रीयकरण की ओर पहला कदम माना, वहीं कुछ लोगों ने इसे पूंजीवाद के खिलाफ समाजवादी सोच की वापसी बताया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: कांग्रेस ने बनाई दूरी
हालाँकि यह बयान इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष की ओर से आया, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इससे खुद को अलग कर लिया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा:
“सैम पित्रोदा अपने निजी विचार रखने के लिए स्वतंत्र हैं। यह कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं है।“
यह बयान ऐसे समय में आया है जब लोकसभा चुनाव अपने चरम पर हैं और प्रत्येक पार्टी अपने चुनावी वादों को लेकर जनता के बीच प्रतिस्पर्धा में है।
प्रधानमंत्री मोदी का जवाब और जनता की नाराज़गी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि
“कांग्रेस अब आम लोगों की मेहनत की कमाई पर भी टैक्स लगाने की योजना बना रही है।“
इस बयान के बाद जनता के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
जनता की राय: “शुभ काम की शुरुआत राहुल गांधी अपने घर से करें”
सामाजिक मीडिया और पब्लिक डिबेट में इस मुद्दे ने आग की तरह फैलते हुए जनता की राय को दो हिस्सों में बाँट दिया है। एक ओर जहां कुछ लोग विरासत कर के विचार को आर्थिक समानता की दिशा में जरूरी कदम मानते हैं, वहीं दूसरी ओर बहुसंख्यक जनता ने इसे “संप्रभु संपत्ति के अधिकार” पर आक्रमण बताया है।
एक उपयोगकर्ता ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा:
“अगर कांग्रेस को यह इतना अच्छा विचार लगता है, तो राहुल गांधी को चाहिए कि वह इस योजना की शुरुआत अपने घर से करें — अपनी संपत्ति, सोनिया गांधी की संपत्ति और रोबर्ट वाड्रा की संपत्ति को सार्वजनिक करें और भारत की जनता में बाँटें।“
क्या है विरासत कर और क्यों हुआ विवाद?
विरासत कर (Inheritance Tax) एक प्रकार का टैक्स होता है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर सरकार द्वारा लगाया जाता है। कई विकसित देशों में यह प्रणाली लागू है, लेकिन भारत में यह 1985 में समाप्त कर दिया गया था।
इस प्रणाली की पुनर्स्थापना को लेकर उठे विचारों से न सिर्फ राजनीतिक हलकों में चर्चा छिड़ गई है, बल्कि यह मुद्दा अब चुनावी बहस का केंद्र भी बनता जा रहा है।
बयान से उठा सवाल – क्या कांग्रेस वाकई विरासत कर लाने की योजना में है?
हालाँकि कांग्रेस पार्टी ने औपचारिक रूप से इस विचार का समर्थन नहीं किया है, लेकिन सैम पित्रोदा जैसे वरिष्ठ नेता के बयान से यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या कांग्रेस वाकई में विरासत कर को अपने आर्थिक मॉडल में शामिल करना चाहती है?
प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा इस मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाने की रणनीति बना चुके हैं और चुनावी मंचों पर इसे उछालना शुरू कर दिया है।
