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विदेश मंत्री एस जयशंकर का संसद में बड़ा हमला: “डोकलाम के वक्त राहुल गांधी ने चीन के राजदूत से की थी गुपचुप मीटिंग!

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Breaking News: ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में गरमा-गरम बहस, एस जयशंकर ने बिना नाम लिए राहुल गांधी को लताड़ा, अमित शाह भी मैदान में कूदे!


Video Source: DD News

मीडिया के अनुसार, लोकसभा में सोमवार को हुई ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विपक्ष, खासकर कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला। जयशंकर ने बिना नाम लिए इशारों में पुराने डोकलाम विवाद को उठाते हुए आरोप लगाया कि “एक विपक्षी नेता उस वक्त चीन के राजदूत से गुपचुप मुलाकात कर रहे थे, जब हमारी सेना मोर्चे पर डटी थी।”

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“चीन के राजदूत से जानकारी लेना पसंद आया, विदेश मंत्रालय से नहीं”

एस जयशंकर ने याद दिलाया कि डोकलाम संकट के दौरान विपक्ष ने सरकार से सवाल पूछने की जगह सीधे चीन के राजदूत से जानकारी ली।

“ये हैरानी की बात है कि विपक्ष को अपने देश के निर्वाचित विदेश मंत्री की बात पर भरोसा नहीं, परंतु विदेशी राजदूतों पर भरोसा है।”


“कुछ नेता ओलंपिक का मज़ा ले रहे थे, जब चीन स्टेपल वीज़ा जारी कर रहा था”

जयशंकर ने तंज कसते हुए कहा कि जब चीन अरुणाचल और कश्मीर के नागरिकों को स्टेपल वीज़ा दे रहा था, “कुछ नेता चीन में बैठकर ओलंपिक का आनंद ले रहे थे। मैंने न तो ओलंपिक देखा और न कोई सीक्रेट डील की।”


अमित शाह ने विपक्ष को लताड़ा: “अपने विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं, चीन पर है?”

विदेश मंत्री के बयान पर विपक्षी टोका-टोकी से गृहमंत्री अमित शाह भड़क उठे। वे खड़े होकर बोले:

“मुझे आपत्ति है कि इन्हें अपने देश के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है, लेकिन दूसरे देश के नेताओं पर है! क्या यही है राष्ट्रभक्ति?”


जयशंकर का बड़ा खुलासा: “193 में से सिर्फ 4 देशों ने भारत का समर्थन नहीं किया!”

विपक्ष के उस दावे को खारिज करते हुए कि ऑपरेशन सिंदूर को अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिला, जयशंकर ने कहा:

“संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से सिर्फ पाकिस्तान और 3 अन्य देशों को छोड़कर सभी ने भारत का समर्थन किया। दुनिया भारत के साथ खड़ी थी।”


“पाक-चीन की दोस्ती कांग्रेस की देन है”

जयशंकर ने कांग्रेस पर ऐतिहासिक जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि पाकिस्तान-चीन की साझेदारी 60 साल पुरानी है, और यह कांग्रेस शासन की देन है।


“देश के दुश्मनों को स्पष्ट संदेश देना जरूरी था”

जयशंकर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश की सीमाएं लांघने वालों को साफ संदेश देना ज़रूरी था।

“भारत को पता था कि अगर पाकिस्तान ने दुस्साहस किया, तो जवाब भारी पड़ेगा।”


संसद में राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और विपक्ष की भूमिका पर गरमा-गरम बहस जारी है। एस जयशंकर के इस तीखे संबोधन के बाद अब विपक्ष की अगली प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी हैं।