Breaking News : केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि राहुल गाँधी को जवानों के लिए पिटाई शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए!
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मीडिया के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विपक्षी नेता राहुल गांधी के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने भारतीय सैनिकों को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की थी। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि सरकार को राजनीतिक आलोचना से कोई परहेज़ नहीं है, लेकिन जब बात भारतीय जवानों के सम्मान की हो, तो विपक्ष को संयम बरतना चाहिए।
“जवानों के लिए ‘पिटाई’ शब्द का उपयोग करना अनुचित”
एस जयशंकर ने संसद में अपने बयान में कहा:
“हमें राजनीतिक आलोचना से कोई दिक्कत नहीं है, लोकतंत्र में यह स्वाभाविक है। लेकिन जब आप अपने वीर सैनिकों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों का उपयोग करते हैं, जैसे ‘पिटाई’, तब यह राजनीति की मर्यादा और राष्ट्रीय भावना दोनों के खिलाफ है।”
जयशंकर ने कहा कि यह शब्द भारतीय सेना की बहादुरी को कमज़ोर दिखाने की कोशिश है और ऐसा बयान देना न केवल मनोबल तोड़ता है, बल्कि इससे दुश्मनों को भी गलत संकेत जाता है।
“जिनसे सलाह मिल रही है, उन्हें देखकर झुककर सम्मान करता हूं”
अपने वक्तव्य में विदेश मंत्री ने राहुल गांधी पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा:
“जब मैं देखता हूं कि कौन हमें सलाह दे रहा है, तो मैं झुककर उन्हें सम्मान देता हूं। लेकिन इससे यह मतलब नहीं है कि वो कुछ भी कहें और जवानों के बलिदान पर सवाल उठाएं।”
यह बयान न सिर्फ संसद में गूंजा, बल्कि देशभर में सोशल मीडिया और जनता के बीच भी व्यापक चर्चा का विषय बन गया।
चीन के खिलाफ भारतीय सेना का जवाब
राहुल गांधी के इस दावे पर कि “चीनी सेना भारतीय जवानों की पिटाई कर रही है”, एस जयशंकर ने आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर जोरदार पलटवार किया:
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उन्होंने बताया कि भारतीय जवानों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे चीन के लगभग 300 सैनिकों को पीछे धकेल दिया।
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करीब 30 चीनी सैनिक घायल हुए जबकि भारतीय सेना ने अपनी पोस्ट को मजबूती से संभाले रखा।
जयशंकर ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में भी भारतीय सेना का साहस और अनुशासन काबिल-ए-तारीफ है।
“सेना पर संदेह, राष्ट्रहित के खिलाफ”
विदेश मंत्री ने दो टूक कहा:
“राहुल गांधी का बयान राष्ट्रहित के विपरीत है। उन्होंने ऐसा कहकर जवानों के शौर्य पर संदेह जताया है, जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हो सकता।”
इस बयान के बाद सत्ता पक्ष के कई सांसदों ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए उन्हें माफी मांगने की मांग की है।
राजनीति की मर्यादा बनाम राष्ट्र का सम्मान
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में राजनीतिक आलोचना जरूरी है, लेकिन उसमें मर्यादा और जिम्मेदारी का निर्वहन अनिवार्य है। उन्होंने कहा:
“हमारे जवान सरहदों पर जान की बाजी लगाते हैं, उनके त्याग को राजनीतिक बयानबाज़ी में शामिल करना किसी भी रूप में सही नहीं ठहराया जा सकता।”