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Waqf Amendment Act 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: कपिल सिब्बल और CJI बीआर गवई के बीच तीखी बहस

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Breaking News: CJI बीआर गवई ने लगायी कपिल सिब्बल की क्लास!


Video Source: Navbharat Times

मीडिया के अनुसार, नई दिल्लीवक्फ संशोधन अधिनियम 2025 (Waqf Amendment Act 2025) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान शुक्रवार को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के बीच तीखी बहस देखने को मिली।

यह मामला वक्फ संपत्तियों के पुनर्परिभाषा, ट्रांसफर और सरकारी अधिग्रहण को लेकर है, जिसे लेकर विभिन्न संगठनों और मुस्लिम पक्षकारों ने संविधान के तहत धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया है।

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कोर्ट में क्या हुआ?

  • सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि:

    “यह संशोधन न केवल संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है बल्कि इससे एक समुदाय विशेष के अधिकारों का हनन हो रहा है। वक्फ संपत्तियों को सरकार द्वारा बिना सुनवाई के अधिग्रहित किया जा रहा है, जो कानून के विपरीत है।”

  • इस पर CJI बी.आर. गवई ने सख्त लहजे में सवाल किया:

    “क्या आप यह कहना चाहते हैं कि संसद को कोई कानून पारित करने का अधिकार नहीं है यदि वह सार्वजनिक हित में हो?”

  • बहस इतनी गरमाई कि कोर्ट को कहना पड़ा:

    “आप तर्क दीजिए, भावनाओं में न बहें।”


क्या है वक्फ संशोधन अधिनियम 2025?

  • यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों की निगरानी, रजिस्ट्रेशन और सरकार द्वारा अधिग्रहण की प्रक्रिया को लेकर महत्वपूर्ण बदलाव करता है।

  • इसके तहत यदि किसी वक्फ संपत्ति का उपयोग सार्वजनिक विकास कार्यों में होना हो, तो उसे अधिसूचना जारी कर सरकार अधिग्रहित कर सकती है।


याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां

  • मौलवी परिषद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

  • याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून धार्मिक संपत्तियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

  • वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता भी खतरे में बताई गई है।


अगली सुनवाई कब?

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले को संविधान पीठ के समक्ष भेजने पर विचार करने की बात कही है।
अगली सुनवाई की तारीख अगले सप्ताह घोषित की जाएगी।


Waqf Amendment Act 2025 न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक संवेदनशील मुद्दा बनता जा रहा है।
कपिल सिब्बल और CJI गवई के बीच हुई बहस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह मामला सिर्फ संपत्ति या कानून का नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता बनाम राज्य की शक्ति का है।