Breaking News : यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा शर्म तो तुम्हें करनी चाहिए, अपने बाप का सम्मान नहीं कर पाए।
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मीडिया के अनुसार, उत्तर प्रदेश विधानसभा का सत्र उस वक्त तनावपूर्ण हो गया जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी दलों द्वारा किए गए व्यवहार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने सपा और रालोद के विधायकों को बिना नाम लिए निशाने पर लेते हुए कहा कि “जो अपने पिता का सम्मान नहीं कर पाया, वह प्रदेश की आधी आबादी — यानी मातृ शक्ति — का क्या सम्मान करेगा?”
राज्यपाल के भाषण के दौरान असम्मान? योगी ने कहा — “शर्म करो”
मुख्यमंत्री ने सदन में जोरदार तरीके से कहा:
“राज्यपाल एक महिला हैं, संवैधानिक प्रमुख हैं और मातृ शक्ति की प्रतीक हैं। उनके लिए जो आचरण होना चाहिए था, वह नहीं हुआ। यह व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो लोग महिलाओं के लिए नारेबाजी और अशिष्ट भाषा का प्रयोग करते हैं, वे कभी समाज का नेतृत्व नहीं कर सकते।
योगी का बड़ा हमला: “अपने बाप का सम्मान नहीं कर पाए”
सीधे शब्दों में लेकिन बिना किसी का नाम लिए, योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी नेता पर हमला बोलते हुए कहा:
“तुम अपने पिता का सम्मान नहीं कर पाए, अपने कारनामों को दोषी ठहराओ, प्रदेश की जनता को नहीं।”
राजनीतिक गलियारों में इस बयान को अखिलेश यादव पर सीधा कटाक्ष माना जा रहा है।
“गेस्ट हाउस कांड” और “लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है” का जिक्र
योगी आदित्यनाथ ने सदन में गेस्ट हाउस कांड और राहुल गांधी के चर्चित बयान “लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है” का जिक्र कर विपक्ष की नारी सम्मान पर विफलता को उजागर किया।
उन्होंने कहा:
“जिसने नारी शक्ति पर हमला किया, वही अब राज्यपाल का अपमान कर रहा है। ये सिर्फ सत्ता की भूख है, सिद्धांतों की नहीं।”
“डबल इंजन सरकार डबल स्पीड से काम कर रही है”
मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि आज उत्तर प्रदेश में 25 करोड़ जनता को बिना भेदभाव योजनाओं का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार डबल स्पीड से योजनाएं लागू कर रही है।
दिनकर की पंक्तियों से विपक्ष पर प्रहार
योगी आदित्यनाथ ने महाकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की पंक्तियां पढ़ते हुए विपक्ष को निशाने पर लिया:
“मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का,
धनुष छोड़ कर और गोत्र क्या होता है रणधीरों का,
पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर,
जाति-जाति का शोर मचाते केवल कायर क्रूर।”
उन्होंने कहा कि समाज में पहचान कार्यों से बनती है, जाति या परिवार से नहीं।