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भारत का सबसे बड़ा एयरस्ट्राइक: कैसे तबाह हुआ पाकिस्तान का नूर खान बेस

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Breaking News: रावलपिंडी पर प्रहार: भारत ने कैसे खत्म किया पाकिस्तान का रणनीतिक एयरबेस!

Video Source: Aaj Tak

ऑपरेशन सिंदूर के तहत सबसे बड़ा वार

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया था — “जहां से हमला होगा, वहीं पर जवाब भी मिलेगा।” इसी नीति के तहत भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया और इस मिशन का सबसे बड़ा लक्ष्य बना — नूर खान एयरबेस

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नूर खान एयरबेस क्यों था भारत के निशाने पर?

नूर खान एयरबेस, पाकिस्तान के रावलपिंडी में स्थित है और इसे “पाकिस्तानी वायुसेना की रीढ़” कहा जाता है। यहीं से:

  • ड्रोन और क्रूज मिसाइलों की निगरानी की जाती थी,

  • कई आतंकी लॉन्चपैड्स को लॉजिस्टिक समर्थन मिलता था,

  • और सबसे अहम — यहीं पाकिस्तान का संवेदनशील न्यूक्लियर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी स्थित माना जाता है।


हमले की रणनीति: ‘सर्जिकल एन्क्रिप्टेड स्ट्राइक’

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने लगातार 10 दिनों तक सैटेलाइट मॉनिटरिंग और साइबर इंटरसेप्शन से जानकारी जुटाई। फिर 13 मई की रात को भारतीय वायुसेना ने दो प्रमुख हथियारों का उपयोग किया:

  • स्मार्ट अटैक ड्रोन – जो अंधेरे में भी टारगेट को पहचान सकते हैं

  • जैमिंग सिस्टम – जिससे पाकिस्तान का एयर डिफेंस नेटवर्क कुछ देर के लिए पूरी तरह फेल हो गया

इन ड्रोन ने रनवे, कमांड टावर और रडार स्टेशन को सटीक निशाने पर तबाह कर दिया।


पाकिस्तान के झूठ का भी हुआ पर्दाफाश

हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान ने इसे “गिरा हुआ ट्रांसफार्मर” बताया, लेकिन:

  • सैटेलाइट इमेज में बर्बाद रनवे और जलते हैंगर साफ नज़र आए

  • कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में माना गया कि भारत ने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर से पाकिस्तान के HQ-9 डिफेंस सिस्टम को भी चकमा दे दिया

इसके बाद पाकिस्तान को सीज़फायर की अपील करनी पड़ी, जिससे भारत की कूटनीतिक जीत और भी स्पष्ट हो गई।


अमेरिका क्यों आया बीच में?

हमले के बाद खबरें आईं कि नूर खान एयरबेस में अमेरिकी परमाणु निरीक्षण दल पहुंचा। इसका कारण ये था कि वहां कुछ अमेरिकी तकनीकी सहायता प्राप्त उपकरण मौजूद थे। अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता था कि कोई रेडियोएक्टिव रिसाव या संवेदनशील डिवाइस का नुकसान तो नहीं हुआ

इससे एक बात साफ हो गई — भारत ने हमला सोच-समझकर किया था, बिना किसी अतिरिक्त परमाणु जोखिम के।