BREAKING NEWS: आखिर क्यूँ सेक्युलर गैंग महाराष्ट्र के पालघर में हुयी इंसानियत की हत्या पे सन्नाटे में है!
Video Source: Zee News
महाराष्ट्र के पालघर में निर्दोषों की हत्या और देश की सेक्युलर गैंग की खामोशी
मीडिया के अनुसार, महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को हुई निर्दोषों की हत्या को चार दिन बीत जाने के बावजूद देश की सेक्युलर गैंग पूरी तरह सन्नाटे में है। ऐसा माना जा रहा है कि ये लोग इस मामले में कोई धार्मिक एंगल नहीं खोज पा रहे हैं, इसलिए चुप्पी साधे हुए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि ये लोग मॉब लिंचिंग को भी मजहब के नजरिये से देखते हैं और उसी हिसाब से उसका विरोध करते हैं।
महाराष्ट्र की पालघर घटना पर राजनीतिक और सामाजिक विवाद
पालघर में हुई इस हिंसा के संदर्भ में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि किसी भी अपराध के लिए दलितों या आदिवासियों को दोषी ठहराया जाता है, ताकि बड़ी साजिशों को छुपाया जा सके। सवाल यह उठता है कि क्या महाराष्ट्र के पालघर में भी आदिवासियों को दोषी ठहरा कर असली दोषियों को बचाया जा रहा है?
पालघर में राजनीतिक समीकरण और हिंसा की पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र के पालघर लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें हैं। इनमें से एक पर शिवसेना, एक पर एनसीपी, तीन पर बहुजन विकास अघाड़ी और एक पर सीपीएम के विधायक हैं। बहुजन विकास अघाड़ी और सीपीएम दोनों वामपंथी विचारधारा से जुड़ी पार्टियां हैं, जो साधु-संतों और भगवाधारियों के प्रति नकारात्मक भावना रखती हैं।
हेट क्राइम के आरोप और स्थानीय नेताओं की भूमिका
पालघर की घटना को साधु-संतों और भगवाधारियों के खिलाफ हेट क्राइम के रूप में देखा जा रहा है। इस हिंसा के वीडियो में कुछ स्थानीय नेता भी नजर आए हैं, जिससे राजनीतिक साज़िश के आरोप लग रहे हैं।
अफवाहों के कारण हुई हिंसा, पर हत्या की कोई माफी नहीं
बताया जा रहा है कि हत्या के पीछे अफवाह थी कि पीड़ित चोर थे, जिस वजह से उन पर हमला किया गया। हालांकि, अफवाह के कारण पिटाई हो सकती है, लेकिन पुलिस की मौजूदगी में पीट-पीटकर हत्या करना कतई स्वीकार्य नहीं है।
आगामी ग्राम पंचायत चुनाव और वामपंथी राजनीति
महाराष्ट्र में अगले साल ग्राम पंचायत चुनाव होने हैं, और माना जा रहा है कि वामपंथी राजनीति इस दहशत और हिंसा को बढ़ावा देकर चुनावी फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। यह रणनीति पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी देखी गई है।