Breaking News : प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के COVID-19 वैक्सीनेशन लगवाने पर विपक्ष क्यों कर रहा सियासत!
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मीडिया के अनुसार, प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लोगो को बड़ा सरप्राइज दिया और वो 1 मार्च को सुबह सुबह दिल्ली के एम्स अस्पताल पहुंचे और प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना की मेड इन इंडिया कोवैक्सीन का टीका लगवाया और तभी से प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी की वैक्सीन लेते हुए तस्वीरें पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। वही अब प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन नहीं ली थी, तब भी राजनीति हो रही थी और आज जब वैक्सीन ले ली, तो भी राजनीति हो रही है।
आप को बता दे कि विपक्ष क्यों कर रहा है सियासत, प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी जब वैक्सीन ले रहे थे तो उन्होंने गले में असम का गमछा पहना हुआ था और जिन दो नर्सों ने उन्हें टीका लगाया उनमें से एक पुडुचेरी और दूसरी केरल की थीं। विपक्षी नेताओं ने वैक्सीन को छोड़ इसे ही मुद्दा बना दिया और आरोप लगाया कि ये चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी का पब्लिसिटी स्टंट है।
आप सब को याद होगा कि जब 16 जनवरी को वैक्सीन आई थी तो यही विपक्षी नेता कहते थे कि प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी डर गए हैं वो वैक्सीन क्यों नहीं लगवा रहे हैं और जब आज वैक्सीन लगवाई तो कह रहे हैं कि ये कैमरे के सामने किया गया चुनावी स्टंट है लेकिन अगर वो कैमरा न ले जाते तो यही नेता कहते कि वैक्सीन लगवाई इसका क्या सबूत है। COVID-19 को लेकर ऐसी राजनीति भारत के अलावा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलेगी।
प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद इन सवालों और अफवाहों पर विराम लग गया कि वैक्सीन लगवानी चाहिए या नहीं। प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन लगवाने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा की और पहले चरण में हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई जा रही थी। इसलिए प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे चरण में वैक्सीन लगवाई जब 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है। प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के कोवैक्सीन लगवाने के बाद इस सोच पर भी विराम लग गया कि विदेशी वैक्सीन स्वदेशी से बेहतर है और भारत में अभी दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं. एक है – कोविशील्ड और दूसरी है – कोवैक्सीन।