Breaking News : दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेताओं को सुनाई खूब खरी खोटी!
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हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, 18 अगस्त तक मांगा जवाब
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा दायर किए गए ₹2 करोड़ के मानहानि मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेड़ा और नेट्टा डिसूजा को समन जारी किया है।
जस्टिस मिनी पुष्कर्णा की एकल पीठ ने कांग्रेस नेताओं को निर्देश दिया है कि वे ईरानी और उनकी बेटी के खिलाफ किए गए सोशल मीडिया पोस्ट, ट्वीट, रीट्वीट, वीडियो और तस्वीरें तत्काल हटाएं, क्योंकि इससे उनके परिवार की प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति हो सकती है।
क्या है मामला?
यह मामला उस वक्त सामने आया जब कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाए कि स्मृति ईरानी की बेटी एक अवैध बार चला रही हैं।
इस आरोप को केंद्रीय मंत्री ने “झूठा और दुर्भावनापूर्ण” करार दिया और इसके खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में ₹2 करोड़ की मानहानि याचिका दायर कर दी।
ईरानी के वकीलों ने अदालत को बताया कि:
???? उनकी बेटी ने कभी बार का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवेदन ही नहीं किया।
???? कांग्रेस नेताओं द्वारा जानबूझकर गलत सूचना फैलाकर उनकी छवि धूमिल की गई।
हाईकोर्ट का रुख: सोशल मीडिया से हटाएं विवादित सामग्री
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि यह सामग्री सोशल मीडिया पर बनी रहती है, तो इससे स्मृति ईरानी और उनके परिवार की सामाजिक छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
अतः अदालत ने कांग्रेस नेताओं को 18 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया: ‘हम अदालत में रखेंगे सभी तथ्य’
हाईकोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा:
“हम अदालत का सम्मान करते हैं और वहां सभी तथ्य सामने रखेंगे।”
हालांकि कांग्रेस की ओर से अब तक आधिकारिक रूप से सोशल मीडिया पोस्ट हटाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
मानहानि की लड़ाई: राजनीति में बढ़ती कानूनी टकराहट का उदाहरण
यह मामला इस बात का संकेत है कि भारतीय राजनीति में व्यक्तिगत आरोपों और छवि खराब करने वाले अभियानों पर अब न्यायालय का सख्त रुख देखने को मिल रहा है।
जहाँ एक ओर विपक्ष सरकार के खिलाफ सवाल उठाता है, वहीं सत्ता पक्ष कानूनी रास्ते से जवाब देने की रणनीति अपना रहा है।
स्मृति ईरानी द्वारा दायर यह मानहानि मामला सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि राजनीतिक संवाद की मर्यादा और सोशल मीडिया के प्रयोग पर भी सवाल खड़ा करता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस नेता कोर्ट में क्या जवाब देते हैं और क्या यह मामला आगे और गंभीर रूप लेता है।