Breaking News : ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाना में हिन्दुओ को पूजा-पाठ का अधिकार मिला!
Video Source: TIMES NOW Navbharat
ASI सर्वे के बाद कोर्ट का ऐतिहासिक निर्देश, ज्ञानवापी विवाद में हिंदू पक्ष को बड़ी जीत
वाराणसी, 21 मई 2025 — ज्ञानवापी परिसर को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद में एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने एक अहम आदेश जारी करते हुए हिंदू पक्ष को तहखाने और नदी के दक्षिणी भाग में पूजा की अनुमति दे दी है। यह फैसला ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की रिपोर्ट के आधार पर आया है।
पूजा के लिए पुजारी की नियुक्ति का आदेश
कोर्ट ने विश्वनाथ मंदिर न्यास को एक सप्ताह के भीतर एक पुजारी नियुक्त करने और नियमित पूजा-पाठ की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश सोमनाथ व्यास जी की परंपरा के तहत पूजा को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
वादी पक्ष की भावनात्मक प्रतिक्रिया
इस फैसले से वादी पक्ष की महिलाएं, विशेष रूप से रेखा पाठक, बेहद भावुक और प्रसन्न दिखीं। उन्होंने कहा:
“यह हमारे लिए बहुत बड़ी जीत है। अब हम अंदर जाकर पूजा कर सकेंगे। यह स्थान हमेशा से हमारे धर्म का केंद्र रहा है।”
वहीं, सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक ने कोर्ट में दलील दी थी कि 1993 तक उस स्थान पर पूजा होती रही थी और उसी परंपरा को फिर से बहाल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए पूजा की अनुमति दी।
मुस्लिम पक्ष की प्रतिक्रिया: हाईकोर्ट में अपील की तैयारी
दूसरी ओर, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के वकील ने इस फैसले को गलत बताया है।
उनका कहना है:
“ASI की रिपोर्ट में यह स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि वहां मूर्ति या शिवलिंग है। कोर्ट ने किस आधार पर पूजा की अनुमति दी, यह स्पष्ट नहीं है। हम इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।”
पृष्ठभूमि: क्या कहती है ASI की रिपोर्ट?
ASI द्वारा हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में संरचनात्मक विशेषताओं, धार्मिक प्रतीकों और स्थापत्य शैली का हवाला देते हुए दावा किया गया था कि मस्जिद के नीचे एक मंदिर के अवशेष मौजूद हैं। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इस रिपोर्ट को चुनौती देते हुए इसे पक्षपातपूर्ण और वैज्ञानिक प्रमाणों से परे बताया है।
आगे की कार्यवाही
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विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट एक सप्ताह के भीतर पुजारी नियुक्त करेगा
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पूजा-पाठ की शुरुआत संबंधित क्षेत्र में होगी
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मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट में अपील दायर करेगा
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अगली सुनवाई की तारीख तय की जानी बाकी है
न्यायिक प्रक्रिया के बीच आस्था और अधिकारों की टकराहट
ज्ञानवापी विवाद वर्षों से भारतीय न्यायिक प्रणाली, इतिहास, और धर्म के संवेदनशील संतुलन का प्रतीक बना रहा है। वाराणसी कोर्ट का यह निर्णय निश्चित रूप से हिंदू पक्ष के लिए एक भावनात्मक और धार्मिक जीत है, लेकिन यह कानूनी रूप से अभी अंतिम नहीं है। हाईकोर्ट और संभवतः सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला पहुँच सकता है।