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भारत ने बंद की इस्लामिक देशों के संगठन OIC की बोलती!

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Breaking News : हिंदुस्तान ने इस्लामिक देशों के संगठन को दिखाई उसकी ‘औकात’!

Video Source: NMF NEWS

भारत ने इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) को दी दो टूक

भारत ने सोमवार को इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) द्वारा देश के आंतरिक मामलों पर की गई टिप्पणी को लेकर कड़ा ऐतराज जताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि OIC का बयान न केवल भ्रामक है, बल्कि यह संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित भी है।

“हमारे आंतरिक मामलों में दखल न दें” – भारत

प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा:

“हमने OIC महासचिव की टिप्पणी को देखा है और भारत सरकार इसे पूरी तरह अस्वीकार करती है। यह टिप्पणी न केवल अनुचित है, बल्कि यह एक पूर्वग्रह से ग्रसित, संकीर्ण और भ्रामक सोच का परिचायक है।”

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भारत का रुख: सभी धर्मों को है बराबर सम्मान

भारत सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि देश सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान देती है। सरकार ने उन विवादास्पद टिप्पणियों की निंदा की जो हाल ही में कुछ व्यक्तियों द्वारा की गई थीं। ये टिप्पणियां:

  • सरकार की आधिकारिक सोच को प्रतिबिंबित नहीं करतीं

  • संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई पहले ही हो चुकी है

“प्रेरित, शरारतपूर्ण और विभाजनकारी” एजेंडे का हिस्सा है यह बयान: भारत

भारत ने OIC के बयान को एक विभाजनकारी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बताते हुए कहा कि यह बयान तथ्यों से परे है और केवल निहित स्वार्थों को संतुष्ट करने के लिए दिया गया है।

भारत की अपील: सभी धर्मों के लिए हो सम्मान

भारत ने OIC से आग्रह किया है कि वह:

  • अपने सांप्रदायिक दृष्टिकोण को त्यागे,

  • और सभी धर्मों के प्रति निष्पक्ष और समान दृष्टिकोण अपनाए।

OIC का दावा और भारत का प्रतिवाद

OIC ने भारत पर यह आरोप लगाया है कि देश में:

  • इस्लाम के प्रति घृणा बढ़ रही है,

  • मुसलमानों के खिलाफ व्यवस्थित भेदभाव किया जा रहा है,

  • कई राज्यों में हिजाब पर प्रतिबंध और मुस्लिम संपत्ति पर विध्वंस की घटनाएं हो रही हैं।

भारत ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि देश का संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है


भारत का यह सख्त रुख दिखाता है कि वह किसी भी बाहरी संगठन द्वारा देश की संप्रभुता और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा। OIC जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों को भी तथ्य आधारित, संतुलित और जिम्मेदाराना रवैया अपनाने की जरूरत है, ताकि वैश्विक शांति और सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सके।