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सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी कह दिया है कि, ‘शांति भंग करने वालों को नहीं छोड़ेंगे’!

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Breaking News : उत्तर प्रदेश के अंदर शांति भंग करने वालों की कमर तोड़ देंगे — सीएम योगी आदित्यनाथ!

Video Source: Zee News

प्रयागराज की सड़कों पर उतरे हजारों उपद्रवी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रयागराज में जुमे की नमाज़ के बाद हिंसा भड़क उठी। हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और देखते ही देखते पुलिस पर पत्थरबाजी, आगजनी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाएं सामने आईं। उपद्रवियों ने पुलिस को निशाना बनाते हुए न केवल पत्थर फेंके, बल्कि लोगों की निजी गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया

संविधान की दुहाई देने वाले अब चुप क्यों?

हर मुद्दे पर संविधान की दुहाई देने वाले कुछ वर्ग आज मौन क्यों हैं?

  • नूपुर शर्मा के बयान को आधार बनाकर जिस तरह से हिंसा भड़काई गई,

  • क्या यह संविधान के दायरे में आता है?

  • अगर किसी को आपत्ति थी, तो कानून और अदालत का रास्ता क्यों नहीं अपनाया गया?

यह पहला मौका नहीं है, जब हिंसा को ‘भावनाओं की आड़’ में जायज़ ठहराने की कोशिश की गई हो। इससे पहले भी ऐसे ही मामलों में भीड़ का यही व्यवहार रहा है। यह चिंताजनक है और इससे देश की कानून व्यवस्था पर सीधा हमला होता है।

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सीएम योगी आदित्यनाथ का सख्त संदेश: “घर में घुसकर निकालेंगे”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंसा और अराजकता पर बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा:

“शांति भंग करने वालों की कमर तोड़ देंगे। इन्हें छिपने की भी जगह नहीं मिलेगी।”

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि:

  • पुलिस पर हमला करने वाले, पत्थरबाज़ और आगजनी करने वाले लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

  • सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले कानूनी कार्रवाई से नहीं बच पाएंगे

  • जरूरत पड़ने पर घर में घुसकर गिरफ्तार किया जाएगा।


उपद्रवियों के लिए “शून्य सहिष्णुता” की नीति

मुख्यमंत्री योगी की सरकार पहले से ही दंगाइयों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर काम कर रही है।

  • CCTV फुटेज,

  • सोशल मीडिया निगरानी,

  • और ड्रोन सर्विलांस के जरिए
    उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।

जल्द ही बड़ी संख्या में गिरफ्तारी और क्षति की भरपाई की प्रक्रिया भी तेज़ होगी।


हिंसा के बजाय कानून का रास्ता अपनाएं

किसी भी लोकतांत्रिक देश में विरोध का अधिकार है, लेकिन विरोध के नाम पर हिंसा, उपद्रव और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना निंदनीय और असंवैधानिक है।
भारत का संविधान सबको अधिकार तो देता है, लेकिन साथ ही जिम्मेदारियां भी सौंपता है

  • ऐसे में देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि कानून का सम्मान करें और समस्याओं का समाधान संवैधानिक मार्ग से करें, न कि सड़कों पर अराजकता फैलाकर।