onlynarendramodiji

क्या अमेरिका की वजह से अफगानिस्तान की ये हालत है?

Posted by

Breaking News : क्या अमेरिका युद्ध के डर से अफगानिस्तान के लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया हैं!

Video Source: Zee News

क्या अमेरिका ‘लोकतंत्र’ का रक्षक है या सिर्फ अपने हितों का खिलाड़ी?


रिपोर्ट | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषण

20 साल, 83 बिलियन डॉलर, आधुनिक हथियार और सैन्य ट्रेनिंग — फिर भी अफगानिस्तान की सेना महज 75,000 तालिबानी लड़ाकों के आगे घुटनों के बल क्यों बैठ गई? यह सवाल आज सिर्फ अफगानिस्तान की जनता ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया अमेरिका से पूछ रही है।


‘दुनिया का चौकीदार’ या रणनीतिक पलायनकर्ता?

अमेरिका, जो खुद को मानव अधिकारों और लोकतंत्र का झंडाबरदार कहता है, अफगानिस्तान से अचानक रातोंरात सैन्य वापसी कर गया। राष्ट्रपति जो बिडेन की यह रणनीति आज वैश्विक स्तर पर आलोचना का विषय बनी हुई है। अमेरिका ने जिस अफगान सेना पर 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए, उसे वह इस कदर असहाय कैसे छोड़ सकता है?

“यह केवल सैन्य विफलता नहीं, नैतिक पतन भी है।” – अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक विश्लेषकों का मानना है।

Breaking News

इतिहास का कड़वा पुनरावृत्ति – वियतनाम और कोरिया

यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका ने किसी देश में हस्तक्षेप किया और फिर अपने हित साध कर उसे उसके हाल पर छोड़ दिया। आइए देखते हैं ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक उदाहरण:

वियतनाम युद्ध (1965–1973):

  • 60,000 अमेरिकी सैनिक मारे गए

  • खर्च: $850 बिलियन (64 लाख करोड़ रुपये से अधिक)

  • 1975 में सैगॉन (Saigon) से अमेरिका ने CIA अधिकारियों को ठीक उसी तरह एयरलिफ्ट किया, जैसे 2021 में काबुल से किया।

  • अमेरिका ने दक्षिण वियतनाम को कम्युनिस्ट कब्जे में जाते देखा — और हस्तक्षेप से मुंह मोड़ लिया।

कोरियाई युद्ध (1950–1953):

  • अमेरिका ने दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया और चीन के खिलाफ समर्थन दिया।

  • युद्धविराम के बावजूद कोरियाई प्रायद्वीप अब भी तनाव में है।


लोकतंत्र की आड़ में सामरिक हित?

जब हम अमेरिका के इन हस्तक्षेपों का गहन विश्लेषण करते हैं, तो तस्वीर कुछ और ही उभर कर आती है:

???? अमेरिका का हर हस्तक्षेप — अफगानिस्तान, वियतनाम, कोरिया, इराक या लीबिया — लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर शुरू हुआ, लेकिन समाप्त हमेशा अमेरिका के रणनीतिक लाभ पर हुआ।

  • तेल, सामरिक ठिकाने, राजनीतिक प्रभाव, वैश्विक छवि निर्माण – ये अमेरिका की प्राथमिकताएँ थीं।

  • जैसे ही खतरे से अमेरिका सुरक्षित हुआ, उसने स्थानीय लोगों को संकट के हवाले कर दिया।


2021 बनाम 1975 – सैगॉन और काबुल

अफगानिस्तान से बेतरतीब एयरलिफ्टिंग ऑपरेशन, काबुल एयरपोर्ट की अफरा-तफरी और तालिबान का सत्ता पर काबिज होना, 1975 के वियतनाम युद्ध के अंतिम दृश्य की कॉपी-पेस्ट प्रतीत होता है।


इतिहास का पाठ क्या कहता है?

किताबों में अमेरिका को लोकतंत्र और मानव अधिकारों के रक्षक के रूप में दिखाया जाता है, लेकिन वास्तविकता ये है कि इन युद्धों में:

  • लाखों नागरिक मारे गए,

  • करोड़ों विस्थापित हुए,

  • देश तबाह हुए,

  • और अंततः अमेरिका ने मुकम्मल असफलता की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया।