Breaking News : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अपने एक बयान में पार की देशद्रोह की सारी हदें पार!
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मीडिया के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के हाल ही में एक बयान दिया हैं जिसमें उन्होंने चीन से मदद मांगी है और फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा है कि चीन अनुच्छेद 370 और 35-A हटाए जाने के खिलाफ है और इसे दोबारा लागू करने में वो उनकी मदद करेगा। फारूक अब्दुल्ला के इस बयान से एक बात साफ हो गई है कि अब उन्हें पाकिस्तान से कोई उम्मीद नहीं बची है और शायद इसलिए उन्होंने इस बार चीन पर दांव खेला है। आप को बता दे कि फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर से नेशनल कॉफ्रेंस पार्टी के सांसद हैं और उन्होंने संविधान की शपथ ली हुई है और ये शपथ उन्होंने उसी संसद भवन में ली थी जिसने अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने का फैसला लिया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या फारूक अब्दुल्ला ने ऐसा बयान देकर देशद्रोह किया है?
आप सब को बता दे कि जिस तरह से गांधी परिवार को देश में राजनीति की फर्स्ट फैमिली कहा जाता है और उसी तरह अब्दुल्ला परिवार को भी कश्मीर की फर्स्ट पॉलिटिकल फैमिली कहा जा सकता है। कश्मीर नीति को लेकर अब्दुल्ला परिवार ने हमेशा से भारत सरकार को धोखे में रखा है और पाकिस्तान के प्रति अब्दुल्ला परिवार की नीति हमेशा नरम रही है। धारा 370 हटने के बाद अब्दुल्ला परिवार को पाकिस्तान से मदद की बहुत उम्मीद थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान पूरी तरह असफल रहा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र संघ में धारा 370 हटाने का मुद्दा उठाया लेकिन हर जगह उन्हें मायूसी हाथ लगी और उल्टे पाकिस्तान को पीओके यानी पाक अधिकृत कश्मीर में विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
फारूक अब्दुल्ला केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रहे हैं लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर जिस दिशा में बढ़ रहा है, उसमें परिवारवाद की राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं बची है। पाकिस्तान से मिलने वाली मदद बंद चुकी है और ऐसे में इस तरह की बौखलाहट को क्या समझा जाए? क्या हमारा हमारा संविधान अभिव्यक्ति के नाम पर कुछ भी बोलने की इजाजत देता है? अब ये देश की जनता को तय करना है की ऐसे लोगी के साथ क्या करना चाइये।